Mohabbat me Nahi hai Farq Jine Aur Marne Ka: Mirza Ghalib ki Behtareen Shayri
“शायरी” उर्दू और हिंदी भाषाओँ में लिखी जाने वाली हिंदुस्तानी उपमहाद्वीप के अदब का एक प्रचलित प्रारूप है जिसे सुखन या शेर ओ शायरी के नाम से भी जाना जाता है, शायरी कई भाषाओँ के शब्दों को मिला कर लिखा जाता है, जिसमे हिंदी, संस्कृत, तुर्की, अरबी और फ़ारसी मुख्य हैं, हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बहुत बड़े बड़े उर्दू शायर पैदा हुए हैं जिसमे कुछ मशहुर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तक़ी मीर, फैज़ अहमद फैज़, अल्लामा इक़बाल और जॉन एलिया हैं, वैसे तो शायरों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है, उन्ही शायरों की अच्छी शायरी से आपको तार्रुफ़ कराने के लिए इश्क़ अदब आपके लिए “तस्वीरों में शायरी” लाया हैI

Mohabbat me Nahi hai Farq Jine Aur Marne Ka
Usi ko Dekh Kr Jite Hain Jis Kafir Pe Dum Nikle
-MIRZA GHALIB
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़, जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं, जिस काफ़िर पे दम निकले
-मिर्ज़ा ग़ालिब
محبت میں نہیں ہے فرق جینے اور مرنے کا
اسی کو دیکھ کر جیتے ہیں جس کافر پہ دم نکلے
مرزا غالب