tum muḳhatib bhi ho qarib bhi ho tum ko dekhen ki tum se baat karen 2

तुम मुखातिब भी हो, क़रीब भी हो: फ़िराक़ गोरखपुरी की शायरी

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“शायरी” उर्दू और हिंदी भाषाओँ में लिखी जाने वाली हिंदुस्तानी उपमहाद्वीप के अदब का एक प्रचलित प्रारूप है जिसे सुखन या शेर ओ शायरी के नाम से भी जाना जाता है, शायरी कई भाषाओँ के शब्दों को मिला कर लिखा जाता है, जिसमे हिंदी, संस्कृत, तुर्की, अरबी और फ़ारसी मुख्य हैं, हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बहुत बड़े बड़े उर्दू शायर पैदा हुए हैं जिसमे कुछ मशहुर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तक़ी मीर, फैज़ अहमद फैज़, अल्लामा इक़बाल और जॉन एलिया हैं, वैसे तो शायरों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है, उन्ही शायरों की अच्छी शायरी से आपको तार्रुफ़ कराने के लिए ‘इश्क़ अदब’ आपके लिए “तस्वीरों में शायरी” लाया हैI

Tum Mukhaatib bhi ho, Qarib bhi ho: Firaq Gorakhpuri ki Shayri

tum muḳhatib bhi ho qarib bhi ho tum ko dekhen ki tum se baat karen 1
तस्वीरों में शायरी via इश्क़ अदब

Tum MukhAAtib bhi ho, QarEEb bhi ho
Tum ko Dekheii-n, ki Tum se BAAt kareii-n

-FIRAQ GORAKHPURI

तुम मुख़ा-तिब भी हो, क़री-ब भी हो,
तुम को देखें, कि तुम से बात करें

-फ़िराक़ गोरखपुरी

تم مخاطب بھی ہو قریب بھی ہو
تم کو دیکھیں کہ تم سے بات کریں

فراق گورکھپوری

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